मेहरानगढ़ किले का इतिहास – Mehrangarh Fort History Rajasthan In hindi
मेहरानगढ़ किले का इतिहास – Mehrangarh Fort History Rajasthan In hindi
Bharat desh me ghume k lye aisi bahut sari jabah hai , Aise he ek khoobsurat touristplace hai jiska naam hai jodhpur.
Mehrangarh Fort History Rajasthan In hindi
Is kile ke pas किरत सिंह सोडा की छत्री bani hui है, जो एक सैनिक था जिसने मेहरानगढ़ किले की रक्षा करते हुए अपनी जान दी थी।
Yah kila भारत के विशालतम किलो में se ek है। yah kila pathrili pahadi per bana hua hai. इसका निर्माण 1460 में राव जोधा ने किया था, यह किला शहर से 124 मीटर ऊँचाई पर स्थित है| इस तरह से यह किला दिल्ली के कुतुब मीनार की ऊंचाई (73मीटर) से भी ऊंचा है।
Yah kila आठ द्वारों व अनगिनत बुर्जों से युक्त 10 किलोमीटर लंबी ऊँची दीवार से घिरा है। बाहर से अदृश्य(Invisibal), घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के 4 द्वार हैं। किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार किवाड़, जालीदार खिड़कियाँ(Windowless) और प्रेरित करने वाले नाम हैं। इनमें से उल्लेख हैं जैसे-मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, दौलत खाना आदि है। इसके अतिरिक्त पालकियाँ, हाथियों के हौदे, विभिन्न(different) शैलियों के लघु चित्रों, संगीत वाद्य, पोशाकों व फर्नीचर(Furniture) का आश्चर्यजनक संग्रह भी है।
यह किला भारत के प्राचीनतम किलों में से एक है और भारत के समृद्धशाली अतीत(past) का प्रतीक है। राव जोधा जोधपुर के राजा रणमल की 24 संतानों मे से एक थे। वे जोधपुर के 15(पंद्रहवें) शासक बने। शासन की बागडोर सम्भालने के एक साल बाद राव जोधा को लगने लगा कि मंडोर का किला सुरक्षित नही है। उन्होने अपने तत्कालीन किले से 1(एक) किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर नया किला बनाने का विचार प्रस्तुत किया। राव जोधा ने 12 मई 1459 ई. को इस पहाडी पर किले की नीव डाली, जो मोर की आकृति का बना हुआ है | महाराज जसवंत सिंह (1638-78) मे इसे पूरा किया। मूल रूप से किले के सात द्वार हैं। प्रथम द्वार पर हाथियों के हमले से बचाव के लिए नुकीली कीलें लगी हुई हैं। अन्य द्वारों में शामिल जयपोल द्वार का निर्माण महाराजा मान सिंह ने अपनी जयपुर और बीकानेर पर विजय प्राप्ति के बाद करवाया था। फतेह पोल का निर्माण महाराज अजीत सिंह ने मुगलों पर अपनी विजय की स्मृति में करवाया था।
राव जोधा को चामुँडा माता(कुल देवी) मे अथाह श्रद्धा थी। चामुंडा जोधपुर के शासकों की आराध्य देवी है। राव जोधा ने मेहरानगढ किले के समीप चामुंडा माता का मंदिर बनवाया और मूर्ति की स्थापना की। मंदिर के द्वार आम जनता के लिए भी खोले गए थे। चामुंडा माता मात्र शासकों की ही नहीं बल्कि बहुत सारे जोधपुर निवासियों की कुलदेवी थी और आज भी लाखों लोग इस देवी को पूजते हैं। नवरात्रि के दिनों मे यहाँ विशेष पूजा की जाती है।
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