सौरमण्डल और उसकी संरचना और 8 ग्रह (Solar System and its Structure, and the 8 Planets) In Hindi
सौरमण्डल और उसकी संरचना और 8 ग्रह (Solar System and its
Structure, and the 8 Planets)In Hindi
ब्रह्माण्ड (Universe) में तो कई सौरमण्डल है, लेकिन हमारा सौरमण्डल ( Solar System ) सभी से अलग है, जिसका आकार एक तश्तरी जैसा है।सौर मंडल (Solar system) में सूर्य और वह खगोलीय वस्तुएँ सम्मिलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल (Gravatational force) द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल (planetary system) कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की - ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल। हमारा सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है। इन पिंडों में 8 ग्रह, उनके 172 ज्ञात उपग्रह, 5 बौना ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं।
सौर परिवार (Solar system):-
कुछ उल्लेखनीय अपवादों को छोड़ कर, मानवता को सौर मण्डल (Solar system) का अस्तित्व जानने में कई हजार वर्ष लग गए। बाइबल के अनुसार पृथ्वी, ब्रह्माण्ड का स्थिर केंद्र है, और आकाश में घूमने वाली दिव्य या वायव्य वस्तुओं से स्पष्ट रूप में अलग है। लेकिन 140 इ. में क्लाडियस टॉलमी ने बताया (According to geocentric concept) की पृथ्वी ब्रह्माण्ड के केंद्र में है और सारे गृह पिंड इसकी परिक्रमा करते हैं लेकिन कॉपरनिकस ने 1543 इ. में बताया की सूर्य ब्रह्माण्ड के केंद्र में है और सारे ग्रह पिंड इसकी परिक्रमा करते हैं।
संरचना और संयोजन(composition and composition):-
सौरमंडल (Solar system) सूर्य और उसकी परिक्रमा करते- ग्रह, क्षुद्रग्रह और धूमकेतुओं से बना है। इसके केन्द्र में सूर्य है, और सबसे बाहरी सीमा पर वरुण ग्रह है। वरुण के परे यम यानी की (प्लुटो) जैसे बौने ग्रहो के अतिरिक्त धूमकेतु भी आते है।
सौरमंडल के अधिकांश ग्रहों की अपनी खुद की माध्यमिक प्रणाली है, जो प्राकृतिक उपग्रहों, या चंद्रमाओं (जिनमें से दो- टाइटन और गैनिमीड, बुध ग्रह से बड़े हैं) के द्वारा परिक्रमा की जा रही है, तथा बाहरी ग्रहों के मामले में, ग्रहों के छल्लों द्वारा, छोटे कणों के पतले बैंड जो उन्हें एक साथ कक्षा में स्थापित करते हैं। अधिकांश सबसे बड़े प्राकृतिक उपग्रह (natural satellite) समकालिक घूर्णन में हैं, जिनमें से एक का चेहरा स्थायी रूप से अपने मूल ग्रह की ओर ही रहता है।
सूर्य(Sun):-
सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक G श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है जिसके इर्द-गिर्द पृथ्वी और सौरमंडल (Solar system) के अन्य अवयव घूमते रहते हैं। सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड है, जिसमें हमारे पूरे सौरमंडल का 99.86% द्रव्यमान निहित है और उसका व्यास लगभग 13 लाख 90 हज़ार किलोमीटर है, जो पृथ्वी से लगभग 109 गुना अधिक है।
ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से- हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य (Sun) अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है, जिसमें से 15 % अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, 30% पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सारी ऊर्जा पेड़-पौधे और समुद्र सोख लेते हैं।
सौर वायु(solar wind):-
सौरमंडल (Solar system) सौर वायु द्वारा बनाए गए एक बड़े बुलबुले से घिरा हुआ है, जिसे हीलीयोस्फियर कहते है। इस बुलबुले के अंदर सभी पदार्थ सूर्य द्वारा उत्सर्जित हैं। अत्यंत ज़्यादा उर्जा वाले कण इस बुलबुले के अंदर हीलीयोस्फीयर के बाहर से प्रवेश कर सकते है।
किसी तारे के बाहरी वातावरण द्वारा उत्सर्जन किए गए आवेशित कणों की धारा को सौर वायु (Soar wind) कहते हैं। सौर वायु विशेषकर अत्यधिक उर्जा वाले- इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन से बनी होती है, इनकी उर्जा किसी भी तारे के गुरुत्व प्रभाव से बाहर जाने के लिए पर्याप्त होती है। सौर वायु (Solar wind) सूर्य से हर दिशा में प्रवाहित होती है, जिसकी गति कुछ 100 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है। सूर्य के सन्दर्भ में इसे सौर वायु कहते है, और अन्य तारों के सन्दर्भ में इसे ब्रह्माण्ड वायु कहते है। यम यानी की (बौना ग्रह) से काफी बाहर सौर वायु खगोलीय माध्यम (जो- हाइड्रोजन और हिलीयम से बना हुआ है) के प्रभाव से धीमी हो जाती है। यह प्रक्रिया कुछ चरणों में होती है। खगोलीय माध्यम और सारे ब्रह्माण्ड में फैला हुआ है। यह एक अत्यधिक कम घनत्व (density) वाला माध्यम है। सौर वायु (Solar wind) सुपर सोनिक गति से धीमी होकर सब-सोनिक गति में आने वाले चरण को टर्मीनेशन शॉक (Termination Shock) या समाप्ती सदमा कहते है। सब-सोनिक गति पर सौर वायु खगोलीय माध्यम के प्रवाह के प्रभाव में आने से दबाव होता है जिससे सौर वायु धूमकेतु की पुंछ जैसी आकृती बनाती है, जिसे हीलिओसिथ (Helioseath) कहते है। हीलिओसिथ की बाहरी सतह जहां हीलीयोस्फियर खगोलीय माध्यम से मिलता है, हीलीयोपाज (Heliopause) कहलाती है। हीलीओपाज क्षेत्र सूर्य के आकाशगंगा (Galaxy) के केन्द्र की परिक्रमा के दौरान खगोलीय माध्यम में एक हलचल उत्पन्न करता है। यह खलबली वाला क्षेत्र जो- हीलीओपाज के बाहर है, बो-शाक (Bow Shock) या धनु सदमा कहलाता है।
ग्रहीय मण्डल(planetary circle):-
ग्रहीय मण्डल उसी प्रक्रिया से बनते हैं, जिस से तारों की सृष्टि होती है। आधुनिक खगोलशास्त्र में माना जाता है की जब अंतरिक्ष में कोई अणुओं का बादल गुरुत्वाकर्षण (gravity) से सिमटने लगता है, तो वह किसी तारे के इर्द-गिर्द एक आदिग्रह चक्र (protoplanetary disk) बना देता है। पहले अणु जमा होकर धूल के कण बना देते हैं, फिर कण मिलकर डले बन जाते हैं। गुरुत्वाकर्षण (gravity) के लगातार प्रभाव से, इन डलों में टकराव और जमावड़े होते रहते हैं और धीरे-धीरे मलबे के बड़े-बड़े टुकड़े बन जाते हैं, जो वक़्त के साथ-साथ ग्रहों, उपग्रहों और अलग वस्तुओं का रूप धारण कर लेते हैं। जो वस्तुएँ बड़ी होती हैं उनका गुरुत्वाकर्षण (gravity) ताक़तवर होता है और वे अपने-आप को सिकोड़कर एक गोले का आकार धारण कर लेती हैं। किसी ग्रहीय मण्डल (planetary system) के सृजन के पहले चरणों में यह ग्रह और उपग्रह कभी-कभी आपस में टकरा भी जाते हैं, जिससे कभी तो वह खंडित हो जाते हैं और कभी जुड़कर और बड़े हो जाते हैं। माना जाता है की हमारी पृथ्वी के साथ एक मंगल ग्रह जितनी बड़ी वस्तु का भयंकर टकराव हुआ, जिससे पृथ्वी का बड़ा सा सतही हिस्सा उखाड़कर पृथ्वी के इर्द-गिर्द परिक्रमा में चला गया और धीरे-धीरे जुड़कर हमारा चन्द्रमा बन गया।
स्थलीय ग्रह(terrestrial planet):-
सूर्य से उनकी दूरी के क्रम में आठ ग्रह हैं:
बुध(Mercury):-
बुध सौरमंडल का सूर्य से सबसे निकट स्थित और आकार में सबसे छोटा ग्रह है। यम यानी की प्लूटो को पहले सबसे छोटा ग्रह माना जाता था पर अब इसका वर्गीकरण एक बौना ग्रह के रूप में किया जाता है। यह सूर्य की एक परिक्रमा करने में 88 दिन का समय लगाता है। यह लोहे और जस्ते का बना हुआ हैं। यह अपने परिक्रमा पथ पर 29 मील प्रति सेकंड की गति से चक्कार लगाता हैं। बुध सूर्य के सबसे नजदीक का ग्रह है और द्रव्यमान से 8वे क्रमांक पर है। बुध व्यास से गैनिमीड और टाईटन चण्द्रमाओ से छोटा है, लेकिन द्रव्यमान में दूगना है। इसका एक भी उपग्रह नही हैं ।
यहां दिन अति गर्म और राते बर्फीली होती है, इसका तापमान सभी ग्रहों में सबसे अधिक 600 डिग्री सेल्सियस है, इसका तापमान रात में -173 डिग्री सेल्सियस होता है और दिन में 427 डिग्री सेल्सियस हो जाता है ।
शुक्र (Venus):-
शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है और छठंवा सबसे बड़ा ग्रह है। इसका परिक्रमा पथ 108¸200¸000 किलोमीटर लम्बा है। इसका व्यास 12¸103•6 किलोमीटर है। शुक्र सौर मंडल का सबसे गरम ग्रह है। शुक्र का आकार और बनाबट लगभग पृथ्वी के बराबर है। इसलिए शुक्र को पृथ्वी की बहन कहा जाता है।
पृथ्वी(Earth):-
पृथ्वी बुध और शुक्र के बाद सुर्य से तीसरा ग्रह है। आतंरिक ग्रहों में सब से बड़ा, धरती एकलौता ग्रह है जहाँ पर ज़िन्दगी है। सुर्य से पृथ्वी की औसत दूरी को खगोलीय इकाई कहते हैं। ये लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है।
ये दूरी वासयोग्य क्षेत्र में है। किसी भी सितारे के इर्द-गिर्द ये एक ख़ास ज़ोन होता है, जिस में ज़मीन की सतह के उपर का पानी तरल अवस्था में रहता है। इसे नीला ग्रह भी कहते है॑।
इसका व्यास 12756 km है तथा इसके धुविए व्यास 12714 km है
मंगल(Mars):-
मंगल सौरमंडल (Solar system) में सूर्य से चौथा ग्रह है। पृथ्वी से इसकी आभा रक्तिम दिखायी देती हैं, जिस वजह से इसे लाल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं - स्थलीय ग्रह जिनमें ज़मीन होती है और गैसीय ग्रह जिनमें अधिकतर गैस ही गैस होते है। पृथ्वी की तरह ही, Mars भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है। इसका वातावरण कम घना है , इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के दरार (गड्ढा) और पृथ्वी के ज्वालामुखियों (volcanoes), घाटियों, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है। हमारे सौरमंडल (Solar system) का सबसे ऊँचा पर्वत, ओलम्पस मोन्स मंगल पर ही स्थित है।
साथ ही विशालतम Canyon Valles Marineris भी यहीं पर स्थित है। अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल ग्रह का घूर्णन काल और मौसमी चक्र पृथ्वी के समान हैं।
1966 में mariner 4 spacecraft के द्वारा पहली मंगल उडान से पहले तक यह माना जाता था कि- ग्रह के Surface पर तरल अवस्था में जल हो सकता है। यह हल्के और गहरे रंग के धब्बों की आवर्तिक सूचनाओं पर आधारित था । विशेष तौर पर- ध्रुवीय अक्षांशों, जो लंबे होने पर समुद्र और महाद्वीपों की तरह दिखाई देते हैं, काले striations की व्याख्या कुछ प्रेक्षकों द्वारा पानी की सिंचाई नहरों के रूप में की गयी है। इन सीधी रेखाओं की मौजूदगी बाद में सिद्ध नहीं हो पायी और ये माना गया कि ये रेखायें मात्र प्रकाशीय भ्रम (optical illusion) के अलावा कुछ और नहीं हैं। फिर भी, सौर मंडल (Solar system) के सभी ग्रहों में हमारी पृथ्वी के अलावा, मंगल ग्रह पर जीवन और पानी होने की संभावना सबसे अधिक है।
गैसीय ग्रह(Gaseous planet):-
बृहस्पति(Jupiter):-
बृहस्पति सूर्य सेे पांचवाँ और हमारे Solar System (सौरमंडल) का सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक गैस दानव है, जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य 7 ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, युरेनस और नेप्चून के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है तथा यह कई संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। जब इसे पृथ्वी से देखा गया, तो यह चन्द्रमा और शुक्र के बाद तीसरा सबसे अधिक चमकदार निकाय बन गया (मंगल ग्रह अपनी ग्रहपथ (धुरी) के कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है)।बृहस्पति को देवताओं का ग्रह कहा जाता है।
शनि(saturn):-
शनि सौरमण्डल का एक सदस्य ग्रह है। यह सूरज से छठे स्थान पर है और सौरमंडल में बृहस्पति के बाद सबसे बड़ा ग्रह हैं। इसके कक्षीय परिभ्रमण का पथ 14,29,40,000 किलोमीटर है। शनि के 81 उपग्रह हैं। जिसमें टाइटन सबसे बड़ा है। टाइटन बृहस्पति के उपग्रह गिनिमेड के बाद दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है। शनि ग्रह की खोज प्राचीन काल में ही हो गई थी। गैलीलियो गैलिली ने सन् 1610 में दूरबीन की सहायता से इस ग्रह को खोजा था। शनि ग्रह की रचना 75% हाइड्रोजन और 25% हीलियम से हुई है। जल, मिथेन, अमोनिया और पत्थर यहाँ बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं। हमारे सौर मण्डल में चार ग्रहों को गैस दानव कहा जाता है, क्योंकि इनमें मिटटी-पत्थर की बजाय अधिकतर गैस है और इनका आकार बहुत ही विशाल है। शनि इनमे से एक है - बाकी तीन बृहस्पति, अरुण (युरेनस) और वरुण (नेप्च्यून) हैं।
अरुण(Uranus):-
अरुण या युरेनस हमारे सौर मण्डल में सूर्य से सातवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का तीसरा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर चौथा बड़ा ग्रह है। द्रव्यमान में यह पृथ्वी से 14.5 गुना अधिक भारी और अकार में पृथ्वी से 63 गुना अधिक बड़ा है। औसत रूप से देखा जाए तो पृथ्वी से बहुत कम घना है - क्योंकि पृथ्वी पर पत्थर और अन्य भारी पदार्थ अधिक प्रतिशत में हैं जबकि अरुण पर गैस अधिक है। इसीलिए पृथ्वी से तिरेसठ गुना बड़ा अकार रखने के बाद भी यह पृथ्वी से केवल साढ़े चौदह गुना भारी है। हालांकि अरुण को बिना दूरबीन के आँख से भी देखा जा सकता है, यह इतना दूर है और इतनी माध्यम रोशनी का प्रतीत होता है की प्राचीन विद्वानों ने कभी भी इसे ग्रह का दर्जा नहीं दिया और इसे एक दूर टिमटिमाता तारा ही समझा।13 मार्च 1781 में विलियम हरशल ने इसकी खोज की घोषणा करी। अरुण दूरबीन द्वारा पाए जाने वाला पहला ग्रह था। इसके 15 उपग्रहों में से 10 की खोज 1986 में वायेजर=1 यान द्वारा हुई है।
वरुण(Neptune):-
वरुण, या नॅप्चयून हमारे सौर मण्डल में सूर्य से आठवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का चौथा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर तीसरा बड़ा ग्रह है। वरुण का द्रव्यमान पृथ्वी से 17 गुना अधिक है और अपने पड़ौसी ग्रह अरुण (युरेनस) से थोड़ा अधिक है। खगोलीय इकाई के हिसाब से वरुण की ग्रहपथ सूरज से 30.1 KE की औसत दूरी पर है, यानि वरुण पृथ्वी के मुक़ाबले में सूरज से लगभग तीस गुना अधिक दूर है। वरुण को सूरज की एक पूरी परिक्रमा करने में 164.79 वर्ष लगते हैं, यानि की एक वरुण वर्ष 164.79 पृथ्वी वर्षों के बराबर है।
क्षुद्रग्रह घेरा(Asteroid circle):-
हमारे सौर मण्डल का क्षुद्रग्रह घेरा मंगल ग्रह (Mars) और बृहस्पति ग्रह (Jupiter) की ग्रहपथओं के बीच स्थित है - सफ़ेद बिन्दुएँ इस घेरे में मौजूद क्षुद्रग्रहों (Asteroid) को दर्शाती हैं
क्षुद्रग्रह घेरा या asteroid belt हमारे सौर मण्डल का एक क्षेत्र है, जो मंगल ग्रह (Mars) और बृहस्पति ग्रह (Jupiter) की ग्रहपथओं के बीच स्थित है और जिसमें हज़ारों-लाखों क्षुद्रग्रह (Asteroid) सूरज की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें एक 950 किमी के व्यास वाला सीरीस नाम का बौना ग्रह भी है जो अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षक खिचाव से गोल अकार पा चुका है। यहाँ तीन और 400 k.m. के व्यास से बड़े क्षुद्रग्रह पाए जा चुके हैं - वॅस्टा, पैलस और हाइजिआ पूरे क्षुद्रग्रह घेरे के कुल द्रव्यमान में से आधे से ज़्यादा इन्ही 4 वस्तुओं में निहित है। बाक़ी वस्तुओं का अकार भिन्न-भिन्न है, कुछ तो दसियों किलोमीटर बड़े हैं और कुछ धूल के कण मात्र हैं।
2008 के मध्य तक, 5 छोटे पिंडों को बौने ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया जाता था, सीरीस क्षुद्रग्रह घेरे में है और वरुण से परे 4 सूर्य ग्रहपथ - यम (जिसे पहले नवें ग्रह के रूप में मान्यता प्राप्त थी), हउमेया, माकेमाके और ऍरिस है।
6 ग्रहों और 3 बौने ग्रहों की परिक्रमा प्राकृतिक उपग्रह करते हैं, जिन्हें आम तौर पर पृथ्वी के चंद्रमा के नाम के आधार पर चन्द्रमा ही पुकारा जाता है, प्रत्येक बाह्य ग्रह को धूल और अन्य कणों से निर्मित छल्लों द्वारा परिवृत किया जाता है।
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